Thursday, July 3, 2014

आज पूरी उम्मत को एक बात ये समझने की ज़रूरत है कि ईमान की रूह और उसकी धुरी और केंद्र केवल खुदा के एक होने पर विश्वास रखना और पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से गहरी मोहब्बत और अपार प्रेम करना है और बाकी सभी चीजों का सम्बंध आस्था से है, ईमान और कुफ्र से नहीं।
http://newageislam.com/hindi-section/misbahul-huda,-new-age-islam/the-knowledge-of-unseen-for-the-prophets/d/97854

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