Thursday, February 20, 2014

The Rights of Non-Muslims in Islam-Part -1 इस्लाम में गैरमुस्लिमों के अधिकार- पहला भाग






वायल सलीम
18 जून, 2013
हमने तुम्हें सारे संसार के लिए बस एक सर्वथा दयालुता बनाकर भेजा है (21: 107)
जब कोई व्यक्ति खुले दिमाग के साथ इस्लाम के क़ानून को समझता है तो उसको इस आयत में बतायी गयी रहमत निश्चित रूप से स्पष्ट हो जाती है। इस रहमत के स्पष्ट होने का एक पहलू इस्लाम के वो कानून हैं जिनका सम्बंध दूसरे धर्मों के मानने वालों के साथ है। अपने देशों में या मुस्लिम देशों में रहने वाले गैरमुस्लिमों के प्रति सहिष्णु व्यवहार को स्पष्ट रूप से इस्लामी इतिहास के सही अध्ययन से समझा जा सकता है। इस हक़ीकत का इज़हार न सिर्फ मुसलमानों द्वारा किया गया है बल्कि कई गैरमुस्लिम इतिहासकारों के द्वारा भी किया गया है।
पैट्रियार्क गेथो (Patriarch Ghaytho) नाम के एक ईसाई इतिहासकार ने गैरमुस्लिमों के प्रति इस्लाम धर्म के नज़रिए का विश्लेषण करते हुए लिखा है:
''अरब लोग जिन्हें खुदा ने दुनिया पर नियंत्रण दिया है वो हमारे साथ कैसा व्यवहार करते हैं, आप सभी जानते हैं, वो ईसाईयों के दुश्मन नहीं हैं। दरअसल, वो हमारे समुदाय की तारीफ करते हैं, और हमारे पादरी और संतों के साथ सम्मान से पेश आते हैं, और चर्चों और मठों की सहायता करते हैं।"
अमेरिकी लेखक, इतिहासकार और दार्शनिक विल ड्यूरॉन्ट ने लिखा है:
 

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