Saturday, October 26, 2013

Human Sacrifice and the Taliban इंसानों की कुर्बानी और तालिबान


सेंगे एच सेरेन्ग
17 अक्तूबर, 2013
तालिबान अल्लाह को खुश करने के लिए दूसरे इंसानों की जान लेते हैं। एक तालिबान अपने बेटे या भाई कि गर्दन पर छुरी रख कर उसे काट देगा अगर अल्लाह ने उसे ऐसा करने का हुक्म दिया।
तालिबान का ये मानना है कि अल्लाह हमारी परहेज़गारी, ईमान, आज्ञाकारिता और वफादारी को जाँचने के लिए हमारी परीक्षा लेता है और दूसरे इंसानों कि जान लेना भी अल्लाह को अपनी आज्ञाकारिता को साबित करने का एक तरीक़ा है।
इससे ये साबित होता है कि एक इंसान अपने साथी इंसानों के मुक़ाबले में अल्लाह से अधिक मोहब्बत करता है। ये उनके विश्वास को पूर्णता देता है कि अल्लाह से अधिक क़ीमती चीज़ कोई नहीं है, यहाँ तक कि उसके बेटे या बेटी भी नहीं।  
वो अल्लाह जो सर्वशक्तिमान है जिसने अरबों और खरबों की संख्या में आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड को पैदा किया और बिना किसी अंतराल के ये रचनात्मक प्रक्रिया जारी है।
 

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