Thursday, January 26, 2012

Hindi Section
25 Jan 2012, NewAgeIslam.Com
इस्लाम में जानवरों के अधिकार

नीलोफ़र अहमद (अंग्रेजी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

सैलाब से महफूज़ किये जाने वालों में मोमिनीन के साथ साथ हर एक नस्ल के जानवरों के जोड़े थेः'...... हमने नूह को हुक्म दिया कि हर किस्म (के जानदारों) में से जोड़ा, जोड़ा (यानी) दो (दो जानवर-. एक एक नर और एक एक मादा) ले लो और जिस शख्स की निस्बत में हुक्म हो चुका है कि (हलाक हो जायेगा) उसको छोड़ कर अपने घर वालों को जो ईमान लाया हो उसको किश्ती में सवार कर लो......(11:40)। हकीकत ये है कि जानवरों को बचाने का हुक्म मोमिनों को बचाने से पहले आया और ये उन जानवरों की अहमियत की तरफ इशारा करता है जिनका अस्तित्व खतरे में थे। --नीलोफ़र अहमद (अंग्रेजी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

http://www.newageislam.com/NewAgeIslamHindiSection_1.aspx?ArticleID=6475

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