Wednesday, November 9, 2011

दीन और मज़हब में फर्क

Hindi Section
09 Nov 2011, NewAgeIslam.Com

डाक्टर इसरार अहमद (उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

दीन जब प्रभावशाली होता है तो एक मज़हब की शक्ल अख्तियार कर लेता है। इस सूरत में वो दीन नहीं रहता है बल्कि मज़हब बन जाता है। बिल्कुल उसी तरह जैसे कि इस्लाम के उत्थान के सबसे अच्छे दौर में प्रभावशाली नेज़ाम (व्यवस्था) तो इस्लाम का था, लेकिन इस दीन के अधीन यहूदियत, ईसाई मजहब की हैसियत से बरकरार थे। उन्हें छूट दी गयी थी कि वो इस्लामी सीमा के अंदर रहना चाहते हैं तो उन्हें अपने हाथ से जज़िया देना होगा और छोटे बन कर रहना होगा।

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