Friday, September 30, 2011


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30 Sep 2011, NewAgeIslam.Com
मुसलमानों की सामूहिक सोच में परिवर्तन – भाग 1

हसन कमाल (उर्दू से अनुवाद-समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)


ये ज़हरीले यहूदी दुष्प्रचार का ही नतीजा था कि अमेरिका की यहूदी लॉबी ने अमेरिका को ईराक पर हमला करने के लिए राज़ी कर लिया। ये मुसलमानों की सोच पर एक और चोट थी। दुनिया भर के मुसलमान चाहे वो सद्दाम हुसैन के हमदर्द न भी हों, लेकिन उन्हें यक़ीन था कि अमेरिका का हमला बिलकुल गलत और अनैतिक था। अमेरिका और पश्चिमी देशों से मुसलमानों की नाराज़गी और बढ़ गयी। बिल्कुल उसी तरह बहुसंख्यक मुसलमान ट्विन टावर की तबाही पर दुःखी थे और इस कदम को बिल्कुल गलत मानते थी, लेकिन पश्चिमी दुनिया जिस तरह और जिन नारों के साथ (राष्ट्रपति बुश ने इसे सलीबी जंग तक कह दिया था) हमला किया था, मुसलमान इससे सहमत नहीं थे। --हसन कमाल (उर्दू से अनुवाद -समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

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