Thursday, September 22, 2011

Hindi Section
22 Sep 2011, NewAgeIslam.Com
महिलाएं और विरासत का अधिकार

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी (उर्दू से हिंदी अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

शरीअत में ऐसी बहुत सी सूरते हैं जिन में मर्द के मुकाबले औरत का हिस्सा मर्द के मुकाबले बराबर या ज़्यादा होता है,या औरत हिस्सेदार होती है और मर्द वंचित रहता है। एक जानकार ने साबित किया है कि तीस से ज़्यादा हालतें ऐसी हैंजिनमें औरत मर्द के बराबर या या उससे ज़्यादा हिस्सा पाती है या वो अकेली हिस्सेदार होती है और मर्द वंचित रहता है,जबकि चार तयशुदा हालात ऐसे हैं जिनमें औरत का हिस्सा मर्द के मुकाबले आधा होता है। अगर इसको ध्यान मेंरखकर औरत की विरासत में हिस्सेदारी पर ग़ौर किया जाये तो साफ मालूम होता है कि ये समझना कि मर्द के मुकाबलेमें औरत को कम हिस्सा दिया जाता है, सिर्फ गलतफहमी है और जिन सूरतों में औरते का हिस्सा कम है उनमें फर्कसिर्फ फर्ज़ और ज़िम्मेदारियों के लिहाज़ से रखा गया है। --मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी (उर्दू से हिंदी अनुवाद-समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

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